[Saba=all; sukha=pleasure, pleasures; Lahai=continue to be; tumhari=inside your; sarana=refuge; tuma=you; rakshaka=protector; kahoo ko=why? or of whom; darana=be scared] जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥ सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै । व्याख्या – मनरूपी दर्पण में शब्द–स्पर्श–रूप–रस–गन्धरूपी विषयों की पाँच पतवाली जो काई (मैल) चढ़ी हुई है वह साधारण रज से साफ होने https://greatn395oom1.theisblog.com/profile