देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। नमो नमो जय नमो शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के https://shivchalisas.com